आपको आश्चर्य होगा कि मधुमक्खियां अलग-अलग फूलों के रस से शहद बनाती हैं।
•Feb 22, 2023 / 08:37 pm•
अमूमन जब आप शहद खरीद रहे होते हैं तो कभी आपने गौर किया है कि आप कौन सा शहद ले रहे हैं? संभवतः नहीं। 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो दुकानदार जो शहद थमा देता है, उसे लेकर चले आते हैं, जबकि वो शहद उनके लिए फायदेमंद है भी या नहीं, इसकी परवाह नहीं करते। आपको आश्चर्य होगा कि मधुमक्खियां अलग-अलग फूलों के रस से शहद बनाती हैं। तीन युवितयों का स्टार्टअप केदरानाथ के औषधीय से लेकर कर्नाटक के अजवाइन के फूलों तक का शहद उपलब्ध करा रहा है।
शिवा ऑर्गेनिक नाम के स्टार्टअप को जयपुर की मनशा अग्रवाल, तमन्ना अग्रवाल और हुनर गुजराल ने शुरू किया है। मनशा ने आईआईएम, रोहतक से डिजिटल मार्केटिंग की ट्रेनिंग ली है। तमन्ना ने इंग्लैंड तो हुनर ने मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया से पढ़ाई की है। तीनों को लोगों की हेल्थ पर काम करने का आइडिया आया और दो साल की रिसर्च के बाद अक्टूबर 2020 में उन्होंने शहद को चुना। यहीं से शिवा ऑर्गेनिक की नींव पड़ी।
तीनों कहती हैं कि हम मधुमक्खी पालन और मधुमक्खी उत्पादन पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने आदिवासियों और मधुमक्खी पालकों के जीवन को समर्थन देने के लिए पहल की है। आज हम मधुमक्खी पालकों के सहयोग से केदारनाथ से लेकर कर्नाटक तक शहद का उत्पादन कर रहे हैं। केदारनाथ शहद को मधुमक्खियां औषधीय पौधों के फूलों से जमा करती हैं। बिहार से लीची, हरिद्वार से नीलगिरी, राजस्थान से सरसों, कश्मीर से बबूल, उत्तर प्रदेश से जामुन, झारखंड से वन तुलसी, कर्नाटक से अजवाइन, महाराष्ट्र से सूरजमुखी, मध्य प्रदेश से धनिया, सिक्किम से नारंगी तो हिमाचल से थाइम व चेस्टन शहद बनाया जा रहा है।
उनका कहना है कि देश के विभिन्न राज्यों से बनाए गए शहद का रंग और स्वाद अलग-अलग है। हम जैसा प्रकृति से लेते हैं, वैसा ही आगे पहुंचाते हैं। शहद बनाने के प्रोसेस के दौरान मधुमक्खियों को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जाती है। हमने मधुमक्खियों को लेकर रिसर्च की है और देश के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया है। राजस्थान से होने के कारण हमें राज्य से बेहद लगाव है और भरतपुर में हम सरसों के खेतों से शहद जुटा रहे हैं। युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।